सुबह का सूरज

 आधुनिक जीवन  ने क्या गजब किया, दुनिया के सबसे बड़े प्रकाश- पुंज ,सूरज को भी निष्प्रभ किया,

आजकल जब दिल्ली में 

 सुबह का सूरज जब  प्राची में आता है 

वह सबसे पहले अपनी किरणों का 'टॉर्च' जलता है,

क्योंकि दिल्ली पर तो प्रदूषण का घना कोहरा छाया रहता है 

 सूरज बेचारे को आकाश का मार्ग भी नहीं सूझता है,

टॉर्च से जब वह रह पा जाता है तब धीरे-धीरे ऊपर आकाश में पाता है,

क्षितिज में तो कभी उसका चेहरा भी नहीं दिखता 

बल्लियों चढ़ जाने पर ही मानव उसका दर्शन पाता है,

कभी-कभी तो मध्यान्ह तक भी उसका चेहरा नहीं दीखता 

 प्रदूषण का आवरण उस पर छाया रहता है।

सरोजिनी पाण्डेय 

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