रवि बेटा तुम क्या कर रहे हो?
मां" तुम जाओ अंदर मुझे मेरा काम करने दो,तुम्हें क्या पता ?मैं क्या कर रहा हूं।"
हां- हां मैं तो अनपढ़ हूं मुझे तो कुछ भी पता नहीं, पता नहीं आज कल के बच्चों को क्या हो गया है।
मां देख लेना,
एक दिन इतना पैसा कमाऊंगा ना कि तुम दंग रह जाओगी देखकर।
जा -जा ख्याली पुलाव मत बना।
चौबीस घंटे फोन लेकर बस ब्लॉग वगैरा बनाता रहता है ।
पैसा कमाएगा, हमारे जमाने में तो पता भी नहीं था ,
ब्लॉग होता क्या है?
जब तुम्हें कुछ पता ही नहीं तो तुम जाओ यहां से मुझे मेरा काम करने दो।
भगवान जाने आजकल की औलाद को क्या हो गया है ?इनको तो इतनी भी तमीज नहीं ,की मां-बाप से बात कैसे की जाती है! हमारे जमाने में तो मां-बाप को देखते ही हमारी बोलती बंद हो जाता थी।
जवाब देना तो दूर की बात।
मां मैं ब्लॉग बनाने के लिए दिल्ली जा रहा हूं मुझे कुछ पैसे दे दो।
नहीं है मेरे पास पैसे,
उलटे-सिधे मुंह बनाने के लिए,
जब कमा कर लाऊंगा तब देखना , चल भाग यहां से फिलहाल तो हमारे ही पैसे खर्च हो रहे हैं।
पूरा दिन लफंगों की तरह घूमता रहता है ।आवारा लड़कों के साथ ना काम का ना काज का दुश्मन अनाज का।
तुझे क्या पता? कि पैसे कितनी मेहनत से कमाए जाते हैं। जा ₹1 कमा कर दिखा ,मैं भी देखती हूं तुझे कौन देगा।
कुछ पैसे मांगे थे इस पर तुम लेक्चर देना शुरू हो गई।
जाओ मुझे नहीं चाहिए तुम्हारे पैसे में खुद कमाऊंगा, तो तब मुझसे मांगना तुम्हें ₹1 नहीं दूंगा।
जा- जा बढ़ा आया। हमें तेरे पैसे की जरूरत नहीं है।
भगवान का दिया हमारे पास सब कुछ है बस भगवान तुझे बुद्धि दे ।
इन ब्लॉगर दोस्तों से दूर रखें।
इंटरनेट ने तो लोगों की जिंदगी खराब कर दी। जेब में ₹2 नहीं तो खुद को बादशाह समझते हैं।
रवि ज्योति की बातें सुनकर बहुत दुखी हो गया उसे ज्योति पर बहुत गुस्सा आ रहा था।
"मेरी मां बहुत खिच -खिच करती है अभी अंदर ही अंदर बड़बड़ा रहा था"!
रात को रवि ने खाना खाया और सोने चला गया।
ज्योति भी अपने कमरे में सोने के लिए चली गई।सुबह वाली बात रवि के दिमाग में हलचल मचा रही थी।
उसे नींद नहीं आ रही थी, उसके अंदर का शैतान जाग उठा।
मां बहुत बोलती है क्यों नहीं इसका काम ही तमाम कर दूं आज रात को?
चुपके से उठा और ज्योति के सिर पर एक बहुत बड़ा पत्थर दे, मारा ।
ज्योति लहूलुहान हो गई और रवि घर से भाग गया।
रवि को घर से भागता देखकर ज्योति भी उसके पीछे भागी
रवि ,रवि रुको ,रुको, रुको।
तुमको मेरी कसम है ज्योति के सिर से खून बह रहा था।
जब बाकी लोग भी इकट्ठे हो गए तो वह कहने लगे नहीं- नहीं। कुछ नहीं हुआ सब ठीक है पर बहन तुम्हारे सिर से तो खून बह रहा है ,किसी ने हम पर हमला कर दिया था। उसी के पिछे भाग रहे थे मैं ओर रवि, जी हां वह दो अनजान व्यक्ति यही से भागे हैं।
पुलिस स्टेशन में एफआईआर लिखवाई गई। कि अनजान व्यक्ति आए थे हमला कर दिया...
आखिर मां तो मां ही होती है...
क्या ज्योति को ऐसा करना चाहिए था?
No comments:
Post a Comment