हंसता गाता खेलता,देने को उल्लास।
रंग बिरंगी याद ले ,बचपन का मधुमास।
बोला गुमसुम हैं बड़े,अकड़े अकड़े आप,
बालक बनकर देख लो,हो जाओगे पास।।
*
खट्टी मीठी गोलियां,चूरन वाला स्वाद।
बिस्कुट करते साफ हम,खान पान के बाद।
सोते थे फिर चैन से,लिपट मात के अंग,
रह रह कर आती मुझे,सुंदर बचपन याद।।
*
मार मार कर भागना,खींच बहन के बाल।
लड़ते भिड़ते थे मगर,खुश रहते हर हाल।
भैया रहते रौब में,बहना करतीं प्यार,
याद सुहाने आ रहे,बचपन वाले साल।।
वैशाली रस्तौगी
जकार्ता,इंडोनेशिया
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