लुका छिपी जोराजोरी,खटपट हट वाले,
दिन याद आते बड़े,बीते जो कमाल के।
स्वाद याद आता मुझे,रंग चावल दाल का,
हाथों से खिलाया खूब,प्यार से संभाल के।
पर्स को टटोला जब,खाली मिला दिखा तब,
छिपे पैसे तूने दिए,अपने रुमाल के।
चिंता जब आती कभी,देती मां पछाड़ तभी,
हल देती मेरे सभी,उलझे सवाल के।
*
पोर पोर दुखे जब,याद मुझे आती तब,
लाल तेल तूने मला,डांट डांट पांव में।
हरा भरा घर सारा,खुशियों के ढेर सारे,
छोड़ सारे चली गई,रोते धोते गांव में।
कैसी बुरी रात आई,अंधड़ को साथ लाई,
नदिया की बीच धार,डूबी जान नांव में।
याद तेरी आती बड़ी,ममता से भरी मां,
मन करता है मेरा,रहूं तेरी छांव में।
©वैशाली रस्तौगी
जकार्ता,इंडोनेशिया

No comments:
Post a Comment