अनिता रश्मि
सविता की महेश ने रक्षा की। जान पर खेलकर बचाया उसे। वह उसका आभार मानती रही। सविता को उसकी झोपड़ी में पहुँचाया और पुलिस को इत्तिला कर दी। कर्तव्य पालन कर निश्चिंत हो गया, अब पुलिस गुंडों को देख लेगी।
पुलिस भी काफी तत्पर। दारोगा गुंडों को पकड़ने के लिए कृतसंकल्प। पूछताछ जारी।
रात के बारह बजे तक दारोगा ने अपने मकान में कदम नहीं रखा। प्रतीक्षारत बीवी निश्चिंत - काम में इतने इंन्वाल्व हो ही जाते हैं।
दूसरे दिन की बस इतनी कथा कि सवेरे सविता का शव पँखे से लटका मिला और नौ बजे तक उसकी आत्महत्या का जिम्मेदार महेश पकड़ लिया गया।
इधर मुकेश के कानों में फोन पर सविता का आर्तनाद गूँज रहा था, "दारोगा को छोड़ना नय बाबू...एकदम नय छोड़ना।"
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