राम हाइकु

 

राम हाइकु

गीत

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'

*

बल बनिए

निर्बल का तब ही

मिले प्रणाम।

क्षणभंगुर

भव सागर, कर

थामो हे राम।।

*

सुख तजिए / निर्बल की खातिर / दुःख सहिए।

मत डरिए / विपदा - आपद से / हँस लड़िए।।

सँग रहिए

निषाद, शबरी के

सुबहो-शाम।

क्षणभंगुर

भव सागर, कर

थामो हे राम।।

*

मार ताड़का / खर-दूषण वध / लड़ करिए।

तार अहल्या / उचित नीति पथ / पर चलिए।।

विवश रहे

सुग्रीव-विभीषण

कर लें थाम।

क्षणभंगुर

भव सागर, कर

थामो हे राम।।

*

सिय-हर्ता के / प्राण हरण कर / जग पुजिए।

आस पूर्ण हो / भरत-अवध की / नृप बनिए।।

त्रय माता, चौ

बहिन-बंधु, जन

जिएँ अकाम।

क्षणभंगुर

भव सागर, कर

थामो हे राम।।

***


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