वाणी वन्दन, करता हूँ ।
रोली चन्दन, करता हूँ ।।
भाल झुकाकर, माता को ।
हिये बिठाकर, माता को ।।
वैभव सुख धन,दाता को ।
मानव जीवन, दाता को ।।
नित आवाहन ,करता हूँ ।
पूजन साधन, करता हूँ ।।
पाल रही बन,धरती माँ ।
हर्ष मोद घर ,भरती माँ ।।
सकल अमंगल ,हरती माँ ।
सबका मंगल ,करती माँ ।।
नित अभिनन्दन, करता हूँ ।
वाणी वन्दन, करता हूँ ।।
वीर करे धुन ,वीणा की ।
पीर हरे धुन , वीणा की ।।
लुटा रही गुन ,वीणा की ।
सुना रही धुन ,वीणा की ।।
नेहिल बन्धन ,करता हूँ ।
वाणी वन्दन, करता हूँ ।।
अपनी माँ पर ,मान करूँ ।
माता का नित , गान करूँ ।।
चरण धूल धर ,शान करूँ ।
ले चरणोदक ,पान करूँ ।।
पद रज चन्दन, करता हूँ ।
वाणी वन्दन ,करता हूँ ।।
ठाकुर दास शर्मा, बाँदा
उत्तर प्रदेश
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