खोल खिड़कियाँ जहान की
करती रोशन मकान बेटियां
दरो दीवार लगते सूने सूने से
देती मुस्कान बेटियां
बाप के दिल की
हर धड़कन का रखती ध्यान बेटियां।
बेटे खाली दुकान से होते हैं
इसमें असबाब खुशियों का भरती बेटियां
छोड़ मायके से जाती वो
फिर भी धीरज माँ का धराती बेटियां
राखी, तीज, दूज जब आये
खुद सजती बाद में
घर को खुशियों से पहले सजाती बेटियां।
बड़े बड़े कमाल करती बेटियां
ओलिंपिक में ला मैडल
देश मालामाल करती बेटियां
अंतरिक्ष भी जाती हैं
लड़ाकू जहाज भी चलाती बेटियां
मौका लगे तो देश पर
जान कुर्बान कर जाती बेटियां।
सीता भी है राधा भी
गार्गी मैत्रीय भारती का रूप बेटियां
अपनी पे आ जाएं तो
सावित्री बन हरा देती यमदूत बेटियां
साहस इतना कि इंदिरा बन
दुश्मन को घुटनों पर ला देती बेटियां
सुषमा स्वराज सी वक्ता, मुर्मू बन
सफलता क्या होती बतला देती बेटियां।
बेटियां बेटियां बेटियां
पिता की सारी खुशियां बेटियां
शरारते रूठना अठखेलियाँ
हृदय तन्तु द्रवित करती बेटियां
ससुराल जाना रुलाना याद आना
रो रो कर फिर मुस्कुराना
यही तो है बेटियां बेटियां बेटियां।
क्या बेटे, क्या बेटियां, मानों तो
दोनों ही दाता के उपहार हैं,
अलग-अलग सोचना उनको
कम दिल की और अपनी हार है |
बेटियां तो साक्षात्, जगदम्बा है,
लक्ष्मी है, सरस्वती है,
बाप के आँखों का पानी होती है
कहते बेटे तो एक घर सँभालते,
बेटियां तो यह घर और वह घर,
दोनों के दिल की रानी होती है
कभी सुना नहीं बेटियों को घर तोड़ते,
कभी सुना नही बेटियों को मुख मोड़ते,
बेटियां हर हाल में
बेटों से ज्यादा समझदार होती हैं।
नए भारत की बेटियां
इंजीनियर भी है डॉक्टर भी है वैज्ञानिक भी है
हर कदम पर ताल मिलाती प्रशासनिक भी है
भविष्य निर्माण में सबसे आगे हमारी बेटियां
नए भारत की बेटियां, नए भारत की बेटियां।
No comments:
Post a Comment