जर्मनी से डॉ शिप्रा शिल्पी सक्सेना के संयोजन, चीन से डा विवेक मणि कीर्तीवर्द्धन के संचालन एवं हिमालय विरासत ट्रस्ट की संरक्षक आशना कन्डियाल नेगी के संयुक्त तत्वावधान में 65 देशों ने की प्रतिभागिता।
माननीय डा रमेश पोखरियाल निशंक जी (पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखंड) के संरक्षण में विश्व के पहले लेखक गांव में आयोजित स्पर्श हिमालय महोत्सव के द्वितीय दिन विचार सत्र के अन्तर्गत “ वैश्विक परिदृश्य में प्रवास में भारत”( साहित्य, कला, संस्कृति एवं भाषा के संदर्भ में ) विषय पर जर्मनी की सुप्रसिद्ध शिक्षाविद एवं साहित्यकार, संपादक एवं मीडिया प्रोफेशनल डॉ शिप्रा शिल्पी सक्सेना, चीन से प्रबुद्ध साहित्यकार एवं शिक्षाविद डॉ विवेक मणि त्रिपाठी एवं हिमालय विरासत ट्रस्ट की संरक्षक आशना कंडियाल द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय वैचारिक सत्र का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के ऑनलाइन सत्र की अध्यक्षता नीदरलैंड की वरिष्ठ साहित्यकार, संवेदनाओं की कवयित्री प्रो. पुष्पिता अवस्थी जी ने की एवं मुख्य अतिथि सिंगापुर से सुप्रसिद्ध साहित्यकार तथा दर्शन एवं आध्यात्म में गहरी पैठ रखने वाली प्रो. मृदुल कीर्ति जी थी।
ऑफलाइन सत्र की अध्यक्षता वैश्विक हिन्दी परिवार के संस्थापक सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री अनिल जोशी जी ने की एवं मुख्य अतिथि ऑस्ट्रेलिया से योग एवं भारतीय संस्कृति के विचारक श्री चार्ल्स थामसन जी थे।
लेखक गांव की अंतरराष्ट्रीय प्रवासी संयोजक डॉ शिप्रा सक्सेना ने बताया इस महत्वपूर्ण वैचारिक सत्र में विश्व के 65 देशों के प्रबुद्ध साहित्यकारों, विचारकों, शिक्षाविदों एवं कलाकारों ने प्रतिभागिता की। लगभग 3 घंटे तक चले इस सत्र में एक ही समय पर ऑफलाइन एवं ऑनलाइन उपस्थित प्रवासी साहित्यकारों ने अपने वक्तव्य में अपने अपने देश में भारतीय संस्कृति, भाषा, कला, योग, दर्शन एवं साहित्य की स्थितियों, प्रचार, प्रसार, प्रभाव एवं चुनौतियों पर प्रकाश डाला, साथ ही लेखक गांव के विषय में अपने अनुभवों को साझा करते हुए, माननीय निशंक जी को स्पर्श हिमालय महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित की।
ऑनलाइन कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रसिद्ध विचारक एवं साहित्यकार डॉ विवेक मणि त्रिपाठी जी ने किया। ऑफलाइन कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ Ravi Kumar Goan ने किया।
इस अवसर पर लेखक गांव के प्रांगण से सीधे लाइव प्रसारण द्वारा जुड़कर श्री अनिल जोशी (भारत),श्री इंद्रजीत सिंह (अमेरिका), श्री अनूप भार्गव, (अमेरिका), श्री जवाहर कर्णावत ( भारत ), सुश्री रमा शर्मा (जापान), सुश्री अतिला कोथलावाला (श्रीलंका), सुश्री कविता वाचकनवि (अमेरिका), सुश्री मधु शर्मा (आस्ट्रेलिया), श्री विदु कंडियाल, सुश्री आशना कांडियाल एवं Dr Bechain Kandiyal ने निर्धारित विषय पर एवं लेखक गांव पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
लेखक गांव से जुड़े प्रवासी विद्वानों के साथ ऑनलाइन वरिष्ठ साहित्यकार सुश्री Annada Patni जी,(शिकागो, अमेरिका) , प्रो. पुष्पिता अवस्थी जी (हॉलैंड), प्रो. मृदुल कीर्ति जी (ऑस्ट्रेलिया), डॉ मीरा सिंह जी (अमेरिका), सुश्री Prachi Randhawa (कनाडा), सुश्री Aradhana Jha Shrivastava (सिंगापुर), डॉ Mansi Sharma (दोहा ,कतर), सुश्री Sangeeta Choubey Pankhudi (कुवैत), सुश्री Shalini Verma (कतर), डॉ Radha Bisht (जर्मनी), सुश्री Shikha Rastogi (थाईलैंड),श्री Kapil Kumar Belgium (बेल्जियम), सुश्री लाला हरद्वार सिंह (सूरीनाम ), श्री बीर बहादुर महतो (नेपाल), डॉ Venkateswara Rao Vanama (भारत), सुश्री Ashwini Kegaonkar (नीदरलैंड), सुश्री Manju Srivastava (अमेरिका सुश्री Anusuya Sahu ( सिंगापुर), सुश्री Pooja Anil Bharwani Sadhwani (स्पेन)),श्री Nitin Upadhye (दुबई, UAE), ने अपने अपने देश में भारतीय संस्कृति , भाषा एवं साहित्य के अनुभवों से जहां एक ओर दर्शकों की ज्ञान वृद्धि की, वही लेखक गांव के महत्व को भी रेखांकित किया।
इसके साथ ही प्रवासी सत्र में अनेक प्रख्यात साहित्यकारों श्री तेजेंद्र शर्मा (ब्रिटेन), सुश्री दिव्या माथुर (ब्रिटेन),डॉ शैलजा सक्सेना (कनाडा), डॉ भावना कुंअर, डॉ प्रगीत कुंअर (आस्ट्रेलिया),श्री हरु मेहरा (फ्रांस), सुश्री इंदु बरोट (लन्दन),सुश्री सिम्मी कुमारी (मस्कट, ओमान), सुश्री इशिता यादव(नाइजीरिया), डॉ राम तिवारी, डॉ ममता तिवारी (बहरीन), सुश्री सनन्द्रा लुटवान (सूरीनाम),सुश्री तनुजा बिहारी (मॉरीशस), डॉ किरण खन्ना (भारत),श्री आशुतोष कुमार (ब्रिटेन), श्री यूरी बोटोवस्किन (यूक्रेन),श्री कपिल कुमार(बेल्जियम), श्री कपिल कुमार(बेल्जियम), सुश्री मोना कौशिक (बुल्गारिया), श्री शिव सिंह (किर्गिस्तान),श्री सुरेश चंद्र शुक्ल ( नॉर्वे), श्री नागौद वितान( श्रीलंका), श्री जावेद खोलोव(तजाकिस्तान),
कार्यक्रम के अंत में सभी ऑफलाइन एवं ऑनलाइन गणमान्य अतिथियों को धन्यवाद प्रेषित करते हुए कार्यक्रम की संयोजक डॉ शिप्रा शिल्पी ने कहा : यह वैश्विक सह स्वीकृति, यह वैश्विक सहभागिता, ये समाजस्य लेखक गांव की अनिवार्यता एवं स्वीकार्यता का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
अलग अलग टाइम जोन में होने के पश्चात भी विश्व के अनेक देशों से गणमान्य अतिथियों की महानीय उपस्थिति आदरणीय निशंक जी की साहित्य एवं संस्कृति के प्रति अथक निष्ठाओं, उनके परम स्नेह एवं उनके पावन ध्येय का प्रतिफल है।
आज जब लोग कलम की शक्ति को समझकर विश्व के कोने कोने से स्पर्श हिमालय महोत्सव के सात्विक अनुष्ठान हेतु उत्तराखंड की पावन धरा पर एकत्र है , तो वो मात्र किसी सांस्कृतिक उत्सव का आनंद नहीं उठा रहे वरन अपनी वैचारिक ऊर्जाओ से पूरे विश्व में सकारात्मक ऊर्जाओं को जागृत करने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है। लेखक गांव मात्र एक सृजन स्थली नहीं वरन एक वृहद विशाल आसमान है जिसमें हर अकलुषित, जिज्ञासु मन सकारात्मक सृजन द्वारा अपने एवं दूसरों के जीवन को नवीन दिशा दे सकता है।
डॉ शिप्रा ने आदरणीय निशंक जी को संबोधित करते हुए कहा हमारे बड़े जानते है भावी पीढ़ी के लिए क्या आवश्यक है। माननीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी ने जो आदर्श, जो जिम्मेदारी, जो स्वप्न आदरणीय निशंक जी को सौंपा था, वो उन्होंने लेखक गांव के माध्यम से हम सब को हस्तांतरित कर दिया है। अब इसे सहेजना, इसका विस्तार करना हमारा दायित्व है। अपनी बात को समाप्त करते हुए उन्होंने निशंक जी की कविता की पक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा_
जग में जो निरंतर जगते रहते,
वे लक्ष्य शिखर पर है चढ़ते।
घोर साधना की वेदी पर,
इतिहास नया वे ही रचते।
_डॉ. रमेश पोखरियाल “निशंक”
आदरणीय निशंक जी द्वारा आयोजित ये भव्य महोत्सव समय के पन्नों पर नया इतिहास रच रहा है। वो इतिहास जो कालजई है।
कार्यक्रम को समाप्त करते हुए डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी ने कहा : स्पर्श हिमालय महोत्सव एक विरासत है, एक अनुष्ठान है जिसे आप सब ने अपने भावों की पूर्णाहुति से सफल बनाया है। ज्ञातव्य हो ये महोत्सव 3 से 5 नवंबर तक उत्तराखंड के लेखक गांव थानों, देहरादून में आयोजित किया गया है। जिसमें देश विदेश के अति प्रतिष्ठित राजनीतिज्ञों, आचार्यों, शिक्षाविदों, साहित्यकारों, कलाकारों एवं संगीतज्ञों ने शिरकत की।
रिपोर्ट
डॉ शिप्रा शिल्पी सक्सेना
कोलोन , जर्मनी



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