हिय हिलोर मृदुल मधुर,
श्रृंगार अनूप नित यथार्थ ।
संवाद अनुपम मोहक प्रभा,
साधन साध्य ध्येय परमार्थ ।
अथाह नैतिक तेजस्वी छवि,
चाह परस्पर अपनत्व आदर ।
काव्यरथी सत्य का अभिजागर ।।
भव्य नवाचार अवबोधन ,
नवल धवल पथ प्रशस्त ।
निशि दिन सवित मार्गदर्शन,
बाधा समाधानिक शिकस्त।
नैराश्य तिमिर मूल पटाक्षेप,
उत्साह उमंग खुशियां सागर ।
काव्यरथी सत्य का अभिजागर ।।
कर्म धर्म आस्था विश्वास,
सविनय सहृदय अभिनंदन ।
अर्थ पर्याय अमृत सुधा,
सर्वत्र सरित आनंद वंदन ।
दैनिक जीवन शिष्टता अभिषेक,
क्षमा याचना समर्पण गागर ।
काव्यरथी सत्य का अभिजागर ।।
सहज सजग पुनीत दृष्टि ,
चाह स्वच्छ स्वस्थ परिवेश ।
नित्य प्रहरी स्नेह प्रेम बंधुत्व,
परिवार समाज संस्कृति देश ।
शंखनाद सेतु सकारात्मक सोच,
मर्यादा संस्कार महत्ता उजागर ।
काव्यरथी सत्य का अभिजागर ।।
कुमार महेंद्र
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