हमारी सोच ही हमारा व्यक्तित्व              होता है      आज हम चर्चा कर रहे हैं की हम जीवन मै आगे बढ़ने के लिए सबसे पहला कदम क्या बढ़ाये।सबसे पहला कदम हैं हमारी सोच । किसी भी काम को करने से पहले आप उसके बारे में सोचते हैं और इसी दौरान काम का परिणाम भी तय हो जाता है. इसलिए किसी भी काम को करने से पहले उसके लिए संकल्प करना भी जरूरी है.। आपकी सोच, विचारधारा जितनी ऊँची होगी, आपके संकल्प, ख्वाब विचार महत्वकांक्ष। जितनी ऊँचे और दृढ़ होंगे, आपको प्रगति भी उतनी अधिक मिलेंगे.  एक साहित्यकार का कथन आज भी पूर्ण रूप से सत्य सिद्ध होता है कि मानव मन जो भी सोचता है और उस पर विश्वाश करता है, जीवन में वह उसे प्राप्त कर सकता है. आपकी सोच जितनी ऊँची होगी, आपके Goal जितने महान होंगे, उतना आप जीवन में प्राप्त कर लेते हैं. संकुचित विचारधारा से उपलब्धियां छोटी मिलती हैं. विस्तृत विचारधारा या ideology बड़ी से बड़ी उपलब्धियां दिलाती हैं. असफल व्यक्तियों और निराश लोगो  के संकल्प इच्छाये और मांगें बहुत छोटी होती हैं.       जीवन मै प्रगति हेतु हमेशा सकारात्मक सोच ही साथ देती हैं । किसी भी नए काम का टारगेट मिलने पर यदि आपने ये सोचा की काम करना तो हैं लेकिन  , किन्तु  ,परन्तु सम्भव नही हो पायेगा । तो समझो आप उस लक्षय तक नही पहुच पाओगे ।      हमारी सोच राजा की तरह होना चाहिए ।राजा बनना है, तो राजा की तरह सोच रखे । हमने बचपन से ही अलग-अलग व्यक्तियों के बारे में अलग-अलग तरह की बातें देखी-सुनी हैं. हमने हमेशा सुना कि किसी गरीब व्यक्ति की लॉटरी निकल गयी या उसे जमीन बेच कर ढेर सारे रुपये मिले, लेकिन कुछ साल बाद वह व्यक्ति वापस गरीब हो गया. वहीं दूसरी तरफ यह पाते है कि एक धनवान व्यक्ति व्यापार में घाटे के कारण गरीब हो गया और कुछ सालों बाद वह पुन: अमीर दिखायी देता है. इसका सीधा संबंध सोच से है. व्यक्ति केवल पैसे से अमीर-गरीब नहीं होता, सोच से भी अमीर-गरीब होता है.? आपके अन्दर भी अद्भुत अपार आंतरिक शक्ति और  मौजूद है. बस उस शक्ति को जगाना है. असीमित सोच और बडी चुनोती इस शक्ति को जगती हैं. जितनी बड़ी चुनौती होगी शक्ति का विस्फोट भी उतना ही बड़ा होगा. यदि कोई आपसे लक्ष्य निर्धारित कर तेज़ दौड़ने के लिए कहे तो आप अपनी क्षमता के अनुसार दौड़ते हैं. लेकिन यदि वही लक्ष्य प्राप्त करने केलिए दूसरा प्रतियोगी आपके साथ हो और जितने वाले को परुस्कार भी निर्धारित हो तो आपकी दौड़ भी तेज़ हो जाएगी क्यूंकि अब बड़ी चुनौती आपके सामने है. कल्पना करें कि आपके सामने अचानक खूंखार शेर आजाए तो आप इतना तेज़ दौड़ेंगे कि विश्व प्रसिद्ध  धावक भी पीछे रह जाएं. याद रखें बडी चुनोती इंसान के अन्दर छिपी शक्तियों को जाग्रत करती है. इंसान वैसा ही बनता जाता है जैसी वह सोच रखता है। यह कथन छोटे या बड़े हर व्यक्ति पर लागू होता है। आप जिंदगी में सफल तभी हो सकते हैं जब आप सफलता हासिल करने के प्रति अपनी सोच को सकारात्मक रखेंगे। अगर अपनी खामियां ढूंढ-ढूंढकर खुद को कमतर ही आंकते रहेंगे तो कभी सफलता की ओर कदम नहीं बढ़ा सकेंगे। एक शहर में एक धनी व्यक्ति रहता था, उसके पास बहुत पैसा था और उसे इस बात पर बहुत घमंड भी था| एक बार किसी कारण से उसकी आँखों में इंफेक्शन हो गया| आँखों में बुरी तरह जलन होती थी, वह डॉक्टर के पास गया लेकिन डॉक्टर उसकी इस बीमारी का इलाज नहीं कर पाया| सेठ के पास बहुत पैसा था उसने देश विदेश से बहुत सारे नीम- हकीम और डॉक्टर बुलाए| एक बड़े डॉक्टर ने बताया की आपकी आँखों में एलर्जी है| आपको कुछ दिन तक सिर्फ़ हरा रंग ही देखना होगा और कोई और रंग देखेंगे तो आपकी आँखों को परेशानी होगी| अब क्या था, सेठ ने बड़े बड़े पेंटरों को बुलाया और पूरे महल को हरे रंग से रंगने के लिए कहा| वह बोला- मुझे हरे रंग से अलावा कोई और रंग दिखाई नहीं देना चाहिए मैं जहाँ से भी गुजरूँ, हर जगह हरा रंग कर दो| इस काम में बहुत पैसा खर्च हो रहा था लेकिन फिर भी सेठ की नज़र किसी अलग रंग पर पड़ ही जाती थी क्योंकि  पूरे नगर को हरे रंग से रंगना को संभव ही नहीं था, सेठ दिन प्रतिदिन पेंट कराने के लिए पैसा खर्च करता जा रहा था| वहीं शहर के एक सज्जन पुरुष गुजर रहा था उसने चारों तरफ हरा रंग देखकर लोगों से कारण पूछा| सारी बात सुनकर वह सेठ के पास गया और बोला सेठ जी आपको इतना पैसा खर्च करने की ज़रूरत नहीं है मेरे पास आपकी परेशानी का एक छोटा सा हल आप हरा चश्मा क्यूँ नहीं खरीद लेते फिर सब कुछ हरा हो जाएगा|सेठ की आँख खुली की खुली रह गयी उसके दिमाग़ में यह शानदार विचार आया ही नहीं वह बेकार में इतना पैसा खर्च किए जा रहा था| तो मित्रों, जीवन में हमारी सोच और देखने के नज़रिए पर भी बहुत सारी चीज़ें निर्भर करतीं हैं कई बार परेशानी का हल बहुत आसान होता है लेकिन हम परेशानी में फँसे रहते हैं| तो मित्रों इसे कहते हैं सोच का फ़र्क ।  सकारात्मक सोच का संबंध सिर्फ आपके करियर से ही नहीं है, यह आपके परिवारिक और सामाजिक जीवन से भी जुड़ी है। नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति अपने आसपास एक ऐसा नकारात्मक माहौल बना लेते हैं। जो उनके साथ-साथ उनके आसपास के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। कभी गौर करें कि जब आप जीवन के प्रति सकारात्मक बातें करते हैं तो बहुत से लोग आपकी ओर आकर्षित होते हैं वहीं अगर आप हर समय जीवन के नकारात्मक पहलुओं को ही कुरेदते रहते हैं तो हर कोई आपके साथ से बचना ही चाहता है। एक राजा का जन्मदिन था. सुबह जब वह घूमने निकला, तो उसने तय किया कि वह रास्ते में मिलनेवाले पहले व्यक्ति को पूरी तरह खुश व संतुष्ट करेगा. उसे एक भिखारी मिला. भिखारी ने राजा से भीख मांगी, तो राजा ने भिखारी की तरफ एक तांबे का सिक्का उछाल दिया. सिक्का भिखारी के हाथ से छूट कर नाली में जा गिरा. भिखारी नाली में हाथ डाल तांबे का सिक्का ढूंढ़ने लगा. राजा ने उसे बुला कर दूसरा तांबे का सिक्का दिया. भिखारी ने खुश होकर वह सिक्का अपनी जेब में रख लिया और वापस जाकर नाली में गिरा सिक्का ढूंढ़ने लगा. राजा को लगा की भिखारी बहुत गरीब है, उसने भिखारी को चांदी का एक सिक्का दिया. भिखारी राजा की जय जयकार करता फिर नाली में सिक्का ढूंढ़ने लगा. राजा ने अब भिखारी को एक सोने का सिक्का दिया. भिखारी खुशी से झूम उठा और वापस भाग कर अपना हाथ नाली की तरफ बढ़ाने लगा. राजा को बहुत खराब लगा. उसे खुद से तय की गयी बात याद आ गयी कि पहले मिलनेवाले व्यक्ति को आज खुश एवं संतुष्ट करना है. उसने भिखारी को बुलाया और कहा कि मैं तुम्हें अपना आधा राज-पाट देता हूं, अब तो खुश व संतुष्ट हो? भिखारी बोला, मैं खुश और संतुष्ट तभी हो सकूंगा जब नाली में गिरा तांबे का सिक्का मुझको मिल जायेगा.भिकारी की सोच इतनी ही थी। जो व्यक्ति अपने सोच में परिवर्तन नहीं लाता है. वह व्यक्ति आगे नहीं बढ़ सकता, इसलिए अग्रणी व्यक्ति की तरह सोचें. यदि आपको राजा बनना है, तो लगातार राजा की तरह सोचें. जो व्यक्ति जिस तरह का सोच रखता है तथा लगातार एक ही तरह का सोच बनाये रखता है, वह उसी तरह का बन जाता है. जिस दिन आप नकारात्मक चीजों में भी सकारात्मक पक्ष तलाशना सीख जाएंगे उस दिन कोई भी मुश्किल आपका मनोबल गिराने में सफल नहीं हो पाएगी। अपनी जिंदगी का एक लक्ष्य बनाकर चलें तो दिमाग को भटकने से बचाया जा सकता है। किसी भी अप्रिय स्थिति का सारा दोष खुद पर ही न मढ़ लें। इसके लिए परिस्थितियां भी दोषी हो सकती हैं। आपकी काबिलियत इसमें है कि आप इन परिस्थितियों को खुद पर हावी न होने दें और खुद में सकारात्मकता का संचार करें। इसमें आपके करीबी दोस्त व रिश्तेदार आपकी मदद कर सकते हैं।'     एक आखरी बात यदि हम इम्तिहान मै सिर्फ पास होना ही ध्येय बनायेगे तो सम्भवत पास हो जायेगे लेकिन यदि हमारा उद्देश्य सोच मेरिट तक होगी और प्रयास होंगे तो हम यकीनन सफल होंगे । अब अंत मै यही कहूँगा की ख्वाब भी यदि देखना हैं तो ऊंचाई के ही देखो ।और सोच भी यदि रखना हैं तो बुलन्दियों की रखो । हंस जैन रामनगर खंडवा   | 
हमारी सोच ही हमारा व्यक्तित्व
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