विश्व परिवार हम जिस दौर से गुज़र रहें इसने हमें यह जता दिया कि परिवार कि अहमियत क्या होती हैं.. एक *क़लमकार के लिए तो पुरा विश्व उसका परिवार होता है..तो बात *विश्व परिवार* की..! मसला यह नहीं है की किस दौर से आज गुज़र रहें हैं हम..! मुद्दा तो ये है की अपनी कितनी परवाह कर रहे हैं हम..! शर्त सलीका हर एक उम्र और दौर में बहुत ही जरुरी है..! जो इस दौर में ज़रुरी है तो घर में क्यों नहीं ठहर रहें हम..! कोई खफ़ा कोई जुदा कोई गमज़दा उदास सी है फ़जा..! कोई सदा के लिए बिछुड़ ना जाएं सोचकर डर रहे हैं हम..! हर एक स्याह रात के दामन में उजाला सदा ही पलता हैं..! इसी आरज़ू के साथ हर एक लह्म़ा बसर कर रहे हैं कमल सिंह सोलंकी रतलाम मध्यप्रदेश |
Featured Post
महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न
उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular
-
चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागर जी महाराज की दीक्षा शताब्दी वर्ष पर विशेष चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागर जी महाराज पर तिर्यंचोंकृत...
-
स्मित रेखा औ संधि पत्र 'आंसू से भीगे आंचल पर/ मन का सब कुछ रखना होगा/ तुझको अपनी स्मित रेखा से/ यह संधि पत्र लिखना होगा ' कामायनी ...
-
जाकर ढूंढो उन राहों को, जो हैं अब तक खोई, तू चल बटोही तू चल बटोही, कठिनाई से मत घबराना, पग पग पर बढ़ते ही जाना, तुझको इस नभ को छूना है, चा...
-
एक– देश ग़ुलामी जी रहा, हम पर है परहेज़। निजता सबकी है कहाँ, ख़बर सनसनीख़ेज़।। दो– लाखोँ जनता बूड़ती, नहीं किसी को होश। "त्राहिमाम्" हर ...
-
जहाँ प्यार और श्रद्धा, रब का वही निवास । स्वर्ग वही है भाईयों, वही एक है खास ।। प्यार और श्रद्धा, से जीतें विश्वास । ईमान इसी पर...
No comments:
Post a Comment