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कर रहे हैं विदाई , नई आस है जगाई।
यादें तेरी बहुत हैं , किस को भुलाइये।।
कुछ सुख हमें मिले , कुछ फूल भी हैं खिले ,
घाव भी तो मिले हमें , किसको बताइये।।
कुछ नया पाया भी है, अपनों को खोया भी है।
अपने हाथों में जो भी , उसी को बचाइये।।
आँधी व तूफ़ान आए , घर बार हैं लुटाये।
हार नहीं मानी कभी ,कदम बढ़ाइए।।
कुछ ने है हमें लूटा , सहारा ही सब छूटा।
नकली हैं कई लोग ,किसको दिखाइए।।
आज भी हैं भूखे कई , खुले में हैं सोते कई।
रोटी एक सपना है , राह तो सुझाइये ।।
बच्चे अब बिकते हैं ,माँगते भी दिखते हैं।
देश के ये नौनिहाल , इनको संवारिये ।।
देश मेरा आगे बढ़ा , चोटी पर वो है चढ़ा।
साहसी हैं वीर मेरे , हौंसला बढ़ाइए।।
कोरोना की जंग जीती , भूल गए सब बीती।
देश का भी मान बढ़ा ,खुशियाँ मनाइये।।
बेटियों को काटा गया , ईज्जत को लूटा गया।
शरम से सर झुके , भूल मत जाइये।।
धरती हुई है लाल ,कितना हुवा मलाल।
आदमी पागल हुवा ,कोई समझाइये।।
चोरी व डकैती होती , जनता है सब रोती।
पैसे में बिके हैं सारे ,अलख जगाइए।।
रिश्वत का है बाजार , रिशतों में है दरार।
न्याय कहाँ मिलता है ,आँसू ही बहाइये।।
बातें सब हैं पुरानी , नई लिखनी कहानी।
सब मिलजुल कर , देश को बढ़ाइए।।
श्याम मठपाल ,उदयपुर
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