18 दिसंबर के लालकिला मैदान पर आयोजित भव्य, ऐतिहासिक और विशाल समारोह में श्रमण संस्कृति के अग्रहो विराग से ओतप्रोत, वात्सल्य भरा सरोवर, आज हिल्लौर कर निर्झर झरने सा, उमड़-उमड़कर, श्रमणों का आराध्य तीर्थंकरों की पगरज, भूमि की रक्षा को सिंह की गर्जना कर रहा है, अभिजात आराधक, श्रमण परंपरा के उन्नायक महायोगी श्रमण मुनिश्री विहर्ष सागरजी को तीर्थ रक्षक शिरोमणि का उपाधि से भारत की समस्त जैन समाज की ओर से अलंकृत किया गया।
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महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न
उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

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स्मित रेखा औ संधि पत्र 'आंसू से भीगे आंचल पर/ मन का सब कुछ रखना होगा/ तुझको अपनी स्मित रेखा से/ यह संधि पत्र लिखना होगा ' कामायनी ...
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