'चिन्तन
डॉक्टर, डाक्टर और आचार्य वाजपेयी की चिट्ठी'
कमलेश कमल
शब्दों के उच्चारण पर वक्ता विशेष के क्षेत्र का प्रभाव पड़ता है, जिसे अंग्रेजी में gravitational pull of the tongue कहते हैं। प्रयोक्ता को चाहिए कि इसे कम करने का प्रयास करे और अगर कम न भी हो सके, तो कम-से-कम लिखते समय शुद्ध या मानक रूप का ही प्रयोग करे।
आजकल सोशल मीडिया पर आचार्य किशोरीदास वाजपेयी का एक पत्र घूम रहा है। इसमें उन्होंने 'डॉक्टर' को 'डाक्टर' लिखने की हिदायत देते हुए 'ऑ' लगाने से मना किया है। बात इतनी ही नहीं हैं, बल्कि उन्होंने इस 'ऑ' को आगत ध्वनि ही नहीं माना है।
मित्रो, निवेदन है कि उक्त पत्र को युगीन सीमा समझ कर आगे बढ़ जाएँ, उसका अंधानुकरण न करें! आज 'ऑ' का प्रयोग मानक है और उचित भी। न डोक्टर, न डाक्टर - डॉक्टर ही लिखें और बोलें! आ +ओ /2= ऑ का सूत्र एकदम सटीक है।
मित्रो, यह उस समय की बात है जब मानकीकरण की बात उठी ही थी। आचार्य वाजपेयी ने तर्क दिया है कि डाक्टर को डॉक्टर कोई नहीं कहता। पहली बात कि यह किसी क्षेत्र-विशेष के संदर्भ में सही है, पूर्णतः नहीं। उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों में डॉक्टर को डाक्टर और हॉस्पीटल को हास्पीटल कहा जाता है। इतना ही नहीं वॉलीवुड को वालीवुड, वॉलीवॉल को वालीवाल कहा जाता है। इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि यही मानक रूप है और आप भी ऐसा ही कहना आरम्भ कर दें।
अंग्रेजी से आगत अनेक शब्दों के उच्चारण में 'ऑ' ध्वनि है और अगर आपको यह ध्वनि पसंद नहीं है, तो उस शब्द का प्रयोग ही मत कीजिए। हॉस्पीटल को चिकित्सालय और डॉक्टर को चिकित्सक कहिए, लेकिन ग़लत उच्चारण मत कीजिए। आचार्य ने तो नुक्ता का भी विरोध किया लेकिन जरा-ज़रा, राज-राज़ ऐसे शताधिक शब्द और शब्द-युग्म हैं, जहाँ इसके बिना या इसके ग़लत प्रयोग से अर्थ का अनर्थ हो जाएगा। मानकीकरण का नियम इसे स्वीकार करता है पर इसके अनावश्यक प्रयोग को नकारता है, जो एकदम समीचीन प्रतीत होता है। उदाहरण के लिए, क़लम को अब कलम ही लिखा जाना चाहिए क्योंकि यह तद्भव के रूप में हिंदी में स्वीकृत है।
विचारणीय यह भी है कि हरियाणा के बहुत-से मित्र स्कूल को सकूल कहते हैं, तो बिहार का एक बड़ा तबका 'र' को 'ड़' और स्मिता को अस्मिता या इसमिता कहता है, तो क्या यही इसका लिखित रूप भी हो जाए?
स्मरण रहे कि मुख-सुख, प्रयत्न-लाघव और उच्चारण-सौकर्य आदि को देखते हुए जब मानकीकरण किया जाता है तब भी व्याकरण और विस्तृत प्रयोक्ता वर्ग को देखा जाता है। अतः, अनुरोध है कि उस पत्र का संदर्भ देकर 'ऑ' के प्रयोग को अनुचित ठहराना बन्द हो!
आपका ही,
कमल
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