धंधे में भी धरम था ब्र ० त्रिलोक जैन धंधे में भी धरम था सतयुग का वो करिश्मा अब धर्म भी है धंधा है कलयुग का कारनामा मां-बाप की थी पूजा वह सतयुग का करिश्मा मां बाप है उपेक्षित है कलयुग का कारनामा सोना चांदी हीरा मोती रत्नों की थी प्रतिष्ठा काँच पीतल चमक रहा है यह कलयुग का कारनामा गौ माता घर की शोभा वह सतयुग का करिश्मा अब गाय है उपेक्षित है कलयुग का कारनामा पड़ोसी भी था अपना वह सतयुग का करिश्मा अब भाई भी है भूखा है कलयुग का कारनामा तप त्याग शील संयम पाते थे वह प्रतिष्ठा पाखंड ढोंग पुजता है कलयुग का कारनामा तांबा पीतल बर्तन सतयुग की थी वो शोभा स्टील, कांच बर्तन कलयुग का कारनामा सीता ,सोमा,चंदना सतयुग की थी वो पूजा अब चरित्र हीनता में रुचि कलयुग का है कारनामा घी दूध दही मक्खन पाते थे शुभ प्रतिष्ठा सुरा सुंदरी मदहोशी है कलयुग का कारनामा समयानुकूल मौसम सतयुग का था करिश्मा प्रकृति अब कुपित है कलयुग का यह कारनामा |
धंधे में भी धरम था
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