महाराष्ट्र घटना पर आक्रोशित कविता , मानवता आज देश से कैसे मर गई ------- फूट रहा जन जन का गुस्सा प्रश्न खड़ा है सत्ता पर। थूक रहा है बच्चा बच्चा ऐसी पुलिस व्यवस्था पर।। ये कैसी है पुलिस व्यवस्था बचा न पायी संतों को। शैतानों के भीड़ तंत्र से छुड़ा न पायी संतों को।। शैतानों का जमघट बेचारे संतों पर टूट पड़ा। निर्ममता से इन्हें पीटने हाथ सभी का छूट पड़ा।। माँग रहे थे दया जान की हाथ जोड़ शैतानों से। सोच रहे थे पुलिस बचा ले शायद इन हैवानों से।। टूट गयीं सारी सीमायें बर्बरता के होने की। दुष्टों ने सन्तों को दे दी सजा मौत में सोने की।। दिल दहलाने वाले फ़ोटो और वीडियो कहते हैं। इंसानों के चोले में शैतान यहाँ कुछ रहते हैं।। सन्तों की पावन धरती पर सन्तों की हत्या होना। इससे बड़ा नहीं हो सकता और किसी दुख का रोना।। इसे न समझे कोई जैसे साधारण सी हत्या है।। मानवता की हत्या है यह मानवता की हत्या है।। अवशेष मानवतावादी |
मानवता आज देश से कैसे मर गई
Featured Post
महावीर तपोभूमि उज्जैन में द्वि-दिवसीय विशिष्ट विद्वत् सम्मेलन संपन्न
उज्जैन 27 नवम्बर 2022। महावीर तपोभूमि उज्जैन में ‘उज्जैन का जैन इतिहास’ विषय पर आचार्यश्री पुष्पदंत सागर जी के प्रखर शिष्य आचार्यश्री प्रज्ञ...

Popular
-
चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागर जी महाराज की दीक्षा शताब्दी वर्ष पर विशेष चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागर जी महाराज पर तिर्यंचोंकृत...
-
स्मित रेखा औ संधि पत्र 'आंसू से भीगे आंचल पर/ मन का सब कुछ रखना होगा/ तुझको अपनी स्मित रेखा से/ यह संधि पत्र लिखना होगा ' कामायनी ...
-
जाकर ढूंढो उन राहों को, जो हैं अब तक खोई, तू चल बटोही तू चल बटोही, कठिनाई से मत घबराना, पग पग पर बढ़ते ही जाना, तुझको इस नभ को छूना है, चा...
-
एक– देश ग़ुलामी जी रहा, हम पर है परहेज़। निजता सबकी है कहाँ, ख़बर सनसनीख़ेज़।। दो– लाखोँ जनता बूड़ती, नहीं किसी को होश। "त्राहिमाम्" हर ...
-
जहाँ प्यार और श्रद्धा, रब का वही निवास । स्वर्ग वही है भाईयों, वही एक है खास ।। प्यार और श्रद्धा, से जीतें विश्वास । ईमान इसी पर...
No comments:
Post a Comment