जैन शास्त्रों में वर्णित रामायण सम्बन्धी कुछ तथ्य* 1. रावण, कुंभकर्ण, विभीषण, इन्द्रजित कोई राक्षस नहीं थे अपितु इनके वंश का नाम राक्षस था। ये सभी विद्याधर थे। ये सभी जिनधर्म के सच्चे अनुयायी, अहिंसा धर्म को पालन करने वाले थे। ये कोई मांस, मदिरा का सेवन नहीं करते थे। शिकार आदि नहीं करते थे। 2. रावण के जन्म का नाम दशानन था । जब रावण का जन्म हुआ था, तब उनके समीप एक हार था, जिसमें उनके 9 प्रतिबिंब और झलक रहे थे। इस कारण 9+1 = कुल 10 मुख दिखने से उनका नाम दशानन प्रसिद्ध हुआ। *उनके 10 मुख नहीं थे।* रावण नाम तो बाद में पड़ा। रावण महा पराक्रमी, जिनेंद्र देव का परम भक्त और अनेक विद्यायों का स्वामी था। 3. कुंभकर्ण छह मास नहीं सोते थे। वे सामान्य मनुष्य के समान ही सोते थे। 4. रावण तो भविष्य में तीर्थंकर होंगे । इंद्रजीत और कुंभकर्ण युद्ध में नहीं मारे गए, अपितु उन्होंने तो मुनि दीक्षा अंगीकार करके मोक्ष प्राप्त किया। वे तो हमारे भगवान हैं। 5. *यदि हम इनका पुतला दहन करते हैं या पुतला दहन देखकर खुश होते हैं, पुतला दहन देखने जाते हैं, तो हम महापाप ही कमाते हैं। भले ही पुतला जलाते हैं, परन्तु पाप को जीवित मनुष्य को जलाने के बराबर ही लगता है। और हम तो अपने ही भगवान को जलाते हैं। तो क्या ये सही है ? आप स्वयं सोचें।* 6. हनुमान, बालि, सुग्रीव, नील, आदि वानर नहीं थे, अपितु उनके वंश का नाम वानर वंश था। उनके मुकुट और ध्वजाओं में वानर का चिन्ह अंकित रहता था। इनकी कोई पूंछ नहीं थी और न ही इनका मुख बंदर जैसा था। ये सभी विद्याधर थे, इनको आकाश में गमन करने की विद्या प्राप्त थी। 7. हनुमान तो बहुत सुंदर कामदेव थे और उन्होंने मोक्ष को प्राप्त किया । 8. रावण को लक्ष्मण ने मारा था राम ने नहीं; क्योंकि रावण प्रतिनारायण थे और लक्ष्मण नारायण। और नारायण ही प्रतिनारायण को मारता है - ऐसा ही नियम है। 9. राम-लक्ष्मण अहिंसा प्रधानी, जिनधर्मी थे। दोनों भाईयों में अत्यंत स्नेह था। राम बलभद्र हुए और उसी भव से मोक्ष प्राप्त किया । राम जी का दूसरा नाम *पद्म* था। 10. जैसा कि जगत में प्रचलित है कि राम-लक्ष्मण हिरण का शिकार करने के लिए गए थे और तभी रावण ने सीता जी का हरण कर लिया था, यह बात सर्वथा असत्य है; अपितु राम-लक्ष्मण तो खरदूषण से युद्ध कर रहे थे, तभी रावण ने छल से सीता जी को हरण कर लिया था। 11. सुग्रीव के बड़े भाई बालि को रामचंद्र जी ने नहीं मारा था अपितु बालि ने तो बहुत पहले ही मुनिदीक्षा ले ली थी। 12. हनुमान जी के जन्म का नाम श्रीशैल था । जन्म के उपरांत हनुमान जी को उनकी मम्मी के मामा आकाश मार्ग से विमान से अपने घर ले जा रहे थे। तब आकाश में विमान में खेलते हुए वे नीचे जमीन पर स्थित शिला पर गिर गये, जिससे शिला टूट गई और उनका नाम श्रीशैल पड़ गया। हनुरूह द्वीप में उनका जन्म उत्सव मनाया गया, जिससे उनका नाम हनुमान प्रसिद्ध हुआ।हनुमान जी पवनन्जय (पिता) और अंजना (माता) के पुत्र थे, पवन (वायु, हवा) के पुत्र नहीं। 13. हनुमान, बालि, सुग्रीव, नील, महानील, राम, रावण के इंद्रजित आदि अनेक पुत्र, कुंभकर्ण (रावण का छोटा भाई) आदि अनेक महापुरुष ने तो जिन दीक्षा लेकर महान तप द्वारा मोक्ष प्राप्त किया। और सीता, मंदोदरी (रावण की पत्नी) , चन्द्रनखा (रावण की बहन) आदि ने आर्यिका दीक्षा ली। 14. सीता जी के युगल पुत्रों का नाम जैन ग्रंथों में लवण और अंकुश मिलता है। जिसे हम लोग लव और कुश के नाम से जानते हैं। 15. रामायण का मुख्य रूप से विस्तार पूर्वक वर्णन *आचार्य रविषेण स्वामी द्वारा रचित पद्मपुराण* में मिलता है। |
जैन शास्त्रों में वर्णित रामायण सम्बन्धी कुछ तथ्य
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