मेरी सुनो मैं मंदिर से तुम्हें पुकारुं, मस्जिद तुम आगाज करो। मैं कुराने पाक पढ़ लूं तुम, रामायण स्वीकार करो। गंगा जमुनी सभ्यता अपनी, देखो खत्म ना हो पावे। चलती रहे सियासत लेकिन, आंच ना हम पर आ पावे। संग संग चलते आए थे, आज भी ऐतबार करो। मैं मंदिर,,, होली ईद दिवाली सारे, मिलकर हम ही मनाते थे। गुजिया और सेवईंया संग, मिलजुल कर के खाते थे। ताजिया सजा जुलूस लाओ, शामिल हमको यार करो। मैं मंदिर,, कहती कुरान हराम शराब, लेना सूद उसूल खिलाफ। धर्म सिखाता ना किसी का, झगड़ा करे , करो माफ। हिंदू या मुस्लिम कोई धर्म हो धर्म का न अपमान करो। मैं मंदिर,, रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर सी,जी |
मेरी सुनो
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